एक ज़माना था जब स्टॉक मार्केट ज़रा सा गिरता था तो सरकार के बड़े-बड़े चेहरे टीवी पर आकर भरोसा दिलाते थे—प्रधानमंत्री से लेकर फाइनेंस मिनिस्टर तक सबका बयान आता था, "घबराने की जरूरत नहीं है, हमारी इकॉनमी मजबूत है!"
अब?
अब मार्केट गिरता है तो कोई पूछता तक नहीं। न कोई सफाई, न कोई आश्वासन। ऐसा लगता है जैसे ये उनकी जिम्मेदारी ही नहीं रही। निवेशकों की जेब कट रही होती है, लेकिन सरकार का कोई अफसर तक मुड़कर नहीं देखता।
अब तो हाल ये है कि मार्केट गिरे या उठे, सरकार की चुप्पी वैसी ही बनी रहती है। जैसे कह रहे हों—"अपना पैसा लगाया है, अपना देख लो, हां कमाई हो जाए तो हिस्सा देते जाना 😬