अडानी ग्रुप के शेयरों में हाहाकार मचा हुआ है। ग्रुप के बारे में हाल में आई एक निगेटिव रिपोर्ट के बाद बैंकों और एलआईसी के शेयरों में भी शुक्रवार को भारी गिरावट आई। बैंकों का अडानी ग्रुप की कंपनियों पर करीब 80,000 करोड़ रुपये का कर्ज है जबकि एलआईसी ने उनमें 70,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है।
हाइलाइट्स
अडानी ग्रुप के शेयरों में लगातार दूसरे दिन भारी गिरावट
बैंकिंग और इश्योरेंस कंपनियों के शेयर भी हुई धराशायी
भारतीय बैंकों का अडानी ग्रुप पर 80,000 करोड़ का कर्ज
एलआईसी का अडानी की कंपनियों में 70,000 करोड़ निवेश
नई दिल्ली: अडानी ग्रुप (Adani Group) के शेयरों में शुक्रवार को लगातार दूसरे सत्र में भारी गिरावट आई। इसका असर बैंक एवं फाइनेंशियल शेयरों पर भी देखने को मिला। भारतीय बैंकों ने अडानी ग्रुप की कंपनियों को करीब 80,000 करोड़ रुपये का कर्ज दे रखा है। दूसरी ओर एलआईसी (LIC) का अडानी ग्रुप की कंपनियों में 70,000 करोड़ रुपये से अधिक निवेश है। इस कर्ज और निवेश के डूबने की आशंका से बैंकों और एलआईसी के शेयरों में भारी बिकवाली देखी गई। बैंक ऑफ बड़ौदा (Bank of Baroda) के शेयरों में सात फीसदी से अधिक गिरावट आई जबकि एसबीआई (SBI) का शेयर 4.69 फीसदी गिर गया। देश की सबसे बड़ी इंश्योरेंस कंपनी एलआईसी का शेयर एक समय 4.3 फीसदी तक गिर गया था लेकिन बाद में यह 3.25 फीसदी की गिरावट के साथ बंद हुआ।WealthMills Securities Pvt. के चीफ मार्केट स्ट्रैटजिस्ट क्रांति बाथिनी ने कहा कि मार्केट में निगेटिव सेंटिमेंट हावी है जिसका असर बैंक स्टॉक्स में दिख रहा है। इसकी एक वजह अडानी ग्रुप के बारे में आई रिपोर्ट है। अडानी ग्रुप की टॉप पांच कंपनियों पर पिछले चार साल में कर्ज दोगुना हो गया है। ब्रोकरेज फर्म CLSA की एक रिपोर्ट के मुताबिक अडानी ग्रुप के कुल कर्ज में भारतीय बैंकों की हिस्सेदारी 40 फीसदी से भी कम है। इसके मुताबिक अडानी ग्रुप के कुल कर्ज में बैंकों का 38 फीसदी, बॉन्ड्स और कमर्शियल पेपर्स का 37 फीसदी और फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन का 11 परसेंट है। वित्त वर्ष 2022 में अडानी ग्रुप पर दो लाख करोड़ रुपये का कर्ज था जिसमें करीब 80,000 करोड़ रुपये बैंकों का था।
कांग्रेस के नेता जयराम रमेश ने एक बयान में कहा कि सरकारी बैंकों ने अडानी ग्रुप के निजी बैंकों की तुलना में दोगुना कर्ज दिया है। इसमें से 40 फीसदी कर्ज एसबीआई ने दिया है। इससे उन लोगों का पैसा डूबने के कगार पर पहुंच गया है जिन्होंने अपनी गाढ़ी कमाई एलआईसी और एसबीआई में निवेश की है। रमेश ने कहा कि अगर अडानी ग्रुप पर लगे आरोप सही हैं तो एसबीआई जैसे सरकारी बैंकों को भारी नुकसान हो सकता है। आदर्श पारसरामपुरिया की अगुवाई में एनालिस्ट्स में हाल में एक नोट में कहा कि अडानी ग्रुप में प्राइवेट बैंकों के मुकाबले सरकारी बैंकों का ज्यादा कर्ज है। एसबीआई का कहना है कि अडानी ग्रुप की कंपनियों में उसका कर्ज लिमिट से कम है। हालांकि बैंक ने इस राशि का खुलासा नहीं किया है।
एलआईसी ने अडानी ग्रुप की कंपनियों में अपना निवेश बढ़ाया है। 30 सितंबर, 2022 तक के आंकड़ों के मुताबिक एलआईसी का कुल इक्विटी पोर्टफोलियो 10.27 लाख करोड़ रुपये का था। इसमें से अडानी ग्रुप की कंपनियों में एलआईसी का निवेश करीब सात फीसदी है। हाल के महीनों में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने अडानी ग्रुप की कंपनियों में अपना निवेश कम किया है। पिछले साल सरकार एलआईसी का आईपीओ लाई थी। लेकिन इसका शेयर कभी भी अपने इश्यू प्राइस तक नहीं पहुंच पाया है।
एलआईसी ने हाल में अडानी एंटरप्राइजेज, अडानी टोटल गैस और अडानी ट्रांसमिशन में अपना निवेश बढ़ाया है। अडानी एंटरप्राइजेज में एलआईसी का निवेश 30 सितंबर, 2022 को 4.02 फीसदी था जिसका मूल्य 17,966 करोड़ रुपये था। इसी तरह अडानी टोटल गैस में एलआईसी की 5.77 फीसदी, अडानी ट्रांसमिशन में 3.46 फीसदी और अडानी ग्रीन एनर्जी में 1.15 फीसदी हिस्सेदारी है। इसी तरह अडानी पोर्ट्स में एलआईसी की हिस्सेदारी 11.9 फीसदी है। आज इसमें से कई कंपनियों के शेयरों में 20 फीसदी तक गिरावट आई। इससे एलआईसी को 16,300 करोड़ का नुकसान हुआ है। अडानी ग्रुप की सात कंपनियों में एलआईसी का निवेश है।
इस बीच मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) भी इस मामले में सतर्क हो गया है। रॉयटर्स की एक खबर के मुताबिक सेबी पिछले साल अडानी ग्रुप द्वारा किए गए हरेक सौदे की बारीकी से जांच करेगा। अडानी ग्रुप ने हाल में कई बड़े सौदे किए हैं। इनमें अंबूजा सीमेंट्स और एसीसी लिमिटेड का अधिग्रहण शामिल है। साथ ही अमेरिका की शॉर्ट सेलर कपनी Hindenburg Research की रिपोर्ट की भी स्टडी की जाएगी। इस रिपोर्ट में अडानी ग्रुप पर कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं। हालांकि अडानी ग्रुप ने इस आरोपों का खंडन करते हुए अमेरिका कंपनी के खिलाफ कोर्ट जाने की बात कही है।
दिल प्रकाश नवभारतटाइम्स.कॉम में असिस्टेंट न्यूज एडिटर हैं। उन्हें पत्रकारिता में 17 साल से अधिक अनुभव है। उन्होंने पत्रकारिता की शुरुआत साल 2006 में यूनीवार्ता से की थी। शुरुआत में खेल डेस्क के लिए काम किया। इस दौरान राष्ट्रमंडल खेल (2010), हॉकी वर्ल्ड कप, आईपीएल और वनडे वर्ल्ड कप (2011) को कवर किया। फिर नेशनल ब्यूरो से जुड़े और पार्लियामेंट से लेकर राजनीति, डिफेंस और पर्यावरण जैसे कई विषयों पर रिपोर्टिंग की। इस दौरान तीन साल तक बीबीसी में भी आउटसाइड कंट्रीब्यूटर रहे। यूनीवार्ता में दस साल तक काम करने के बाद साल 2016 में बिजनस स्टैंडर्ड से जुड़े। फरवरी 2020 में ऑनलाइन का रुख किया।... Read More
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